Commonwealth Games 2022

Commonwealth Games 2022

Commonwealth Games 2022 (कॉमनवेल्थ गेम्स) , राष्ट्रमंडल के सदस्यों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन है जो 28 जुलाई से 8 अगस्त 2022 तक बर्मिंघम, इंग्लैंड में हो रहा है।

2022 राष्ट्रमंडल खेलों का उद्घाटन समारोह 28 जुलाई 2022 को अलेक्जेंडर स्टेडियम में आयोजित किया गया। निदेशक इकबाल खान ने कहा कि समारोह का उद्देश्य बर्मिंघम के “ज्वलंत और जीवंत आत्मविश्वास” का प्रदर्शन करना होगा।

1930 में शुरु हुए राष्ट्रमंडल खेलों का यह 22वां संस्करण है। पहला कॉमनवेल्थ गेम्स 1930 में कनाडा के शहर हैमिल्टन में हुआ था।

भारत ने अब तक इन खेलों में 181 स्वर्ण, 173 रजत और 149 कांस्य पदक जीते हैं। भारत 2002 मैनचेस्टर खेलों से लगातार हर राष्ट्रमंडल खेलों में पदक हासिल करने के मामले में शीर्ष पांच देशों में शामिल रहा है।

भारत राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे अधिक पदक 2010 में नई दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेल में जीते, जिसमें 38 स्वर्ण 27 रजत 36 कांस्य पदक, कुल 101 पदक हैं।

 इस सदी में भारत की सफलता में बड़ा योगदान निशानेबाजों का रहा है। जिसे विवादास्पद तरीके से बर्मिंघम खेल से हटा दिया गया है, ऐसे में शीर्ष पांच में आना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी।

commonwealth games 2022
🔥 बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु को कॉमनवेल्थ गेम्स के ओपनिंग सेरेमनी के लिए भारतीय दल का ध्वजवाहक बनाया गया।
🔥 सह-ध्वजवाहक हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह रहे।

राष्ट्रमंडल खेल 2022 में 283 अलग-अलग मेडल इवेंट शामिल हैं। इस साल 72 टीमें हिस्सा ले रही हैं। इन खेलों के लिए लगभग 6,500 एथलीट और स्पोर्ट स्टाफ बर्मिंघम पहुंचे हैं। राष्ट्रमंडल खेल में पहली बार महिला टी-20 किक्रेट को शामिल किया गया है।

नीरज चोपड़ा:- स्टार भाला फेंक एथलीट से स्वर्ण पदक की आस थी लेकिन चोट के कारण उन्हें अपना नाम वापस लेना पड़ा, वह विश्व चैंपियनशिप के दौरान चोटिल हो गए थे।

एमसी मैरी कॉम:- 6 बार की विश्व चैंपियन महिला मुक्केबाज ने 48 किग्रा में 2018 में स्वर्ण पदक जीता था वह ट्रायल में चोटिल हो गई और बर्मिंघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेल में शामिल नहीं हो सकी।

साइना नेहवाल:- ओलंपिक पदक विजेता शटलर साइना ने 2018 में स्वर्ण जीता था उन्होंने चोट के कारण इस ट्रायल में हिस्सा नहीं लिया।

🌟संकेत महादेव सरगर:-

commonwealth games 2022 में भारत के लिए पहला पदक, संकेत महादेव सरगर ने 55 किग्रा वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता।

संकेत सरगर महाराष्ट्र के सांगली के रहने वाले है। संकेत का वेटलिफ्टिंग से गहरा लगाव रहा है। 21 साल के संकेत कोल्हापुर के शिवाजी यूनिवर्सिटी में इतिहास के छात्र हैं। वह खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020 में भी चैम्पियन रहे थे। संकेत के पिता की सांगली में पान की दुकान है। संकेत ने पिछले साल पटियाला में हुए प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल कर नया कीर्तिमान दर्ज किया। साथ ही संकेत महादेव सागर ताशकंद में आयोजित 2021 राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैम्पियनशिप में पुरुषों के 55 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहे थे। इसके जरिए सरगर ने बर्मिंघम में 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भी क्वालिफाई किया।

🌟मीराबाई चानू:-

मीराबाई चानू ने भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 का पहला गोल्ड मेडल दिला दिया, चानू ने 49 किग्रा भार वर्ग में खिताब जीता।

उन्होंने दूसरी बार भारत की झोली में स्वर्ण पदक डाला है, इससे पहले चानू ने पिछली बार गोल्ड कोस्ट में साल 2018 में गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने साल 2014 में ग्लास्गो में रजत पदक हासिल किया था और फिर साल 2021 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता था। भारत के लिये भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक और रजत पदक जीतने वाली वे प्रथम महिला हैं।
साइखोम मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल में हुआ था. इनकी माता का नाम साइकोहं ऊंगबी तोम्बी लीमा है जो पेशे से एक दुकानदार हैं। वहीं इनके पिता का नाम साइकोहं कृति मैतेई है जो PWD डिपार्टमेंट में नौकरी करते हैं। मीराबाई चानू अपने बचपन के दिनों से ही वेटलिफ्टिंग में रूचि रखती थीं, केवल 12 वर्ष की उम्र में ही लकड़ियों के मोटे-मोटे गट्ठर उठाकर अभ्यास किया करती थीं. वेटलिफ्टिंग के सपने देखने वाली चानू ने ये साबित कर दिया है कि मेहनत और लगन से बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है.

कुंजुरानी देवी से मिली प्रेरणा

मीरा के घर में लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनता था और उन्हें लकड़ियां जंगल से लानी पड़ती थीं। चानू उन बड़े-बड़े गठ्ठरों को भी आसानी से उठा लेती थीं जिन्हें उनका भाई मुश्किल से ही उठा पाता था। मीरा बाई महिला वेटलिफ़्टर कुंजुरानी देवी से काफी प्रेरित थीं। कुंजुरानी भी मणिपुर की थीं और एथेंस ओलंपिक में खेल चुकी थीं। उन्हें देखकर मीरा ने भी अपने परिवारवालों से वेटलिफ्टिंग में करियर बनाने की बात कही। पहले तो हर कोई नाराज हुआ और सबने मना कर दिया लेकिन अंत में उन्हें मीरा की जिद के आगे झुकना पड़ा।

2014 में जीता था पहला मेडल, रच दिया था इतिहास

मीरा बाई चानू ने साल 2014 में ग्लासगो में 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत जीतकर अपना पहला राष्ट्रमंडल खेलों का पदक जीता था। फिर रियो ओलंपिक 2016 में वह असफल रहीं थीं लेकिन दो साल बाद 2017 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही उन्होंने धुआंधार वापसी की। उन्होंने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया लेकिन उनकी असली परीक्षा 2021 में टोक्यो ओलंपिक में हुई जब उन्होंने अपने पिछले ओलंपिक पराजय से वापसी करते हुए रजत जीता और रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक बन गईं। ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी के बाद पदक जीतने वाली वे देश की दूसरी वेटलिफ्टर हैं, मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में कांस्य पदक जीता था।

🔥 बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, रवि दहिया, मीराबाई चानू, लक्ष्य सेन, साजन प्रकाश, पीवी सिंधु इन खिलाड़ियों पर रहेगी नजर।