महात्मा गांधी पर भाषण:-
Speech on Mahatma Gandhi is written below
आदरणीय…….. महोदय, आदरणीय……… महोदय एवं यहां पर उपस्थित समस्त…………।
आज 2 अक्टूबर को गाँधी जंयती के अवसर पर इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का मैं हार्दिक स्वागत करता हूं। आज बड़े ही गर्व की अनुभूति हो रही है कि इतने महान व्यक्ति के बारे में मुझे बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है।
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी जी अहिंसा के परिचायक थे। इन्होंने सत्य व अहिंसा के बल पर देश को आजादी दिलाई इसलिए गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकालने में गांधीजी का योगदान जगत विदित है। अहिंसा परमो धर्म के सिद्धांत पर चलकर इन्होंने देश को एकजुट करके आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने की प्रेरणा दी। कानून की अध्ययन हेतु 1888 में इंग्लैंड गए इन्होंने इंग्लैंड विश्वविद्यालय से बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की।
आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व ब्रिटिश शासन काल में जब भारत की जनता बहुत दुखी थी। तब गांधी जी के रूप में एक ऐसे देशभक्त नेता तथा महापुरुष ने जन्म लिया जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता एवं राजनैतिक कुशलता के बल पर भारत देश को स्वतंत्रता दिलाई। इन्होंने अपनी पूरी जिंदगी हिंदुस्तान की आजादी, अहिंसा, शांति तथा प्रेम आदि सिद्धांतों को फैलाने में लगा दी।
सन 1893 में एक केस के सिलसिले में इन्हें अफ्रीका जाना पड़ा जहां भारतीयों पर गोरे गालों में काफी भेदभाव किया जाता है जिससे महात्मा गांधी काफी आहत हुए। भारतीयों पर इस तरह के भेदभाव को देखकर इनका दिल दहल उठा और वहां के भारतीयों को जगाने के लिए गांधी जी ने दृढ़ संकल्प लिया।
1914 में इन्होंने भारत लौटकर अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की तथा चंपारण में किसानों की रक्षा की। उसके बाद 1920 1930 1940 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व गांधी जी ने किया जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
करो या मरो, अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का नारा भी इन्होंने दिया। 15 अगस्त 1947 को भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ। आज हम अंग्रेजों की गुलामी से तो स्वतंत्र हैं लेकिन अपनी गलतियों की वजह से कई चीजों के गुलाम बने बैठे हैं जैसे इनमें से एक है गंदगी।
आज माननीय प्रधानमंत्री जी भी देश को स्वच्छ बनाने के लिए गांधीजी के उसी मार्ग को अपनाकर सभी देशवासियों को जागरूक कर रहे हैं। देश को जिस तरह गुलामी की गंदगी से साफ करना सब का कर्तव्य था तथा जिसमें सभी का योगदान महत्वपूर्ण था उसी प्रकार देश को स्वच्छ रखना भी हम सब का कर्तव्य है। जो कि सब के योगदान के बिना संभव नहीं है इसलिए स्वच्छता अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन की गई थी।
30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की मृत्यु नाथूराम गोडसे के द्वारा चलाई गई गोली से हुई लेकिन क्या वह हमारे राष्ट्रपिता को मार सका, यकीनन नहीं। वह आज भी लाखों करोड़ों लोगों के दिलों में जिंदा है क्योंकि सत्य अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने देश की आजादी को कभी भी जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं माना।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देना चाहूंगा,
जय हिंद जय भारत
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