वक्त ना मिलेगा दोबारा

वक्त ना मिलेगा दोबारा
‘‘हमारे जीवन का जो हिस्सा/समय बीत जा रहा है वह वापस नही आयेगा‘‘। ऐसा आपने बहुत बार पढ़ा या सुना होगा लेकिन ये बात हमारे दिमाग में सिर्फ उतनी देर रहता है जितनी देर इसको पढ़ने में लगा। बात सिर्फ इतने देर की नही है, बात है इसे महसूस करने की। हम जब इस एक लाइन को अच्छे से महसूस करेंगे तो ये सिर्फ कुछ देर में ही नहीं गायब होगा बल्कि बहुत असर करेगा। यह दिमाग में थोड़ी देर सिर्फ इसलिए रुकता है क्योकि हमारे सोचने का तरीका अलग है या यू कहें कि उतना असरदार नही है। हमारे अन्दर यह एक लाइन उतनी असर इसलिए नही छोड़ती है क्योकि हमें यह पूरी तरह सच नही लगता है या भयावह नही लगता है।

वक्त ना मिलेगा दोबारा

हमें हर एक दिन हर चीज करने का दुबारा मौका मिलता है और हम जिस किसी दिन कोई चीज नही कर पाते हैं तो सोचते हैं कि अगले दिन कर लेंगे। अगर हम लोग किसी दिन कोई टारगेट नही पूरा कर पाते हैं तो कहते हैं कल पूरा कर लेंगे। हमें यह यकीन है कि कल मौका फिर दुबारा मिलेगा क्योकि ऐसे हजारो दिन हम लोग जी चुके हैं और हमें मौका मिल चुका है। इसी कारण हम सोचते हैं कि कल फिर सुबह होगी, दिन में अपने पास वक्त होगा उसमें निपटा लिया जायेगा, फिर शाम होगी शाम में निपटा लिया जायेगा। ऐसे ही हम लोग अपना पिछला काम निपटाते रहते हैं और अपने जीवन में व्यस्त रहते हैं। लेकिन एक दिन इन सब दैनिक जीवन का अन्त होगा।
सबसे उपर लिखे लाइन को अगर आप महसूस करना चाहते हैं तो अपने पूरे जीवन काल को एक दिन यानी 24 घण्टे का सोच कर देखिए। अब आप समझ पायेंगे कि जो बीत रहा है वो वापस नही आयेगा। मतलब अगर आप 20 वर्ष के हो गए हैं तो आप मान लिजिए कि जिस सुबह आप उठे हैं उस दिन के सुबह के लगभग 8 बज चुके हैं, और आप जब 30 वर्ष के हो गए तो दोपहर के लगभग 12 बज चुके हैं। इसी प्रकार औसतन देखा जाये तो जब आपकी उम्र 60-65 वर्ष के लगभग होगी तो रात के करीबन 12 बजे होंगे और इस वक्त के बाद आपको कभी भी नींद आ सकती है। और आप यह जानते हैं कि जब भी नींद आ गयी और आप सो गये तो उठ नहीं सकते हैं यानी अगली सुबह आप नही देख सकते हैं। तो इस प्रकार से आपको दोबारा किसी काम को करने का मौका भी नही मिलने वाला है या यू कहें कि कोई भी वक्त दोबारा नही आने वाला। अगर आप अच्छे से महसूस करें तो ऐसे एक दिन की जिंदगी को सोचकर आप डर भी सकते हैं।


सोचिए अगर जिंदगी सच में सिर्फ एक दिन की होती तो क्या होता? और आजकल की जिंदगी बीत भी कुछ इसी तेजी से रही है कि वक्त कम पड़ रहा है या यू कहें कि इन्सान व्यस्त ही इतना है कि जीने की नही सोच रहा। इसलिए कहा जाता है कि ’’आज ऐसे जीयो कि आखिरी दिन हो जिंदगी का’’। लेकिन इस तरह जीना व्यवहारतन थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इन्सान इतनी योजनायें ही बनाये रहता है कि 24 घण्टे में पूरा नही हो सकता।
हम जब अपने उम्र के उस पड़ाव पर होते हैं जहॉ हमें लगता है कि अपने पास तो समय ही समय है तो जिंदगी के उसी मोड़ पर ही हम व्यर्थ के काम में अपना बहुत सारा वक्त गवॉ देते हैं। हम जो भी काम करते हैं उसमें यह भी नही सोच पाते कि ये हमारे लिए उपयोगी भी है या नही। और इसका मूल कारण यह है कि या तो हमें उस काम को लेकर सही जानकारी नही होती या हम गलत संगत में ही होते हैं। संगत आपके जीवन व व्यक्तित्व में बहुत अहम रोल अदा करता है।
वक्त ना मिलेगा दोबारा से मेरा कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि समय को समझें। समय जो बीत रहा है उसको ये ना समझें कि कल फिर वही समय आयेगा, कल तो आता है लेकिन वो कल (बीते कल) जैसा नही रहता है। अतः समय की कीमत को समझें, बेवजह ना बीतायें, आपके समय के कीमत बहुत है।
और ये देखें कि आप के जीवन की घड़ी में कितना बज चुका है।