मौत: एक परम सत्य
हम जीवित हैं! ये बात डरावनी नहीं लगती लेकिन अगर हमने यह विचार कर लिया कि एक वक्त ऐसा भी आयेगा जब हम जीवित नही रहेगे, यह बात वाकई में डरावनी हो सकती है। जब तक हम जीवित है हमारे सैकड़ो सपने हैं, सैकड़ो काम पड़े हैं मन में करने को लेकिन मौत के बाद क्या ?
हम जो भी सोचते हैं जितना भी सोचते हैंं, जो भी करते हैं जितना भी करते हैं , जीवन रहने के दौरान ही सम्भव है, परन्तु आखिर मौत के बाद होगा क्या ?
मुझे पता है मौत के बारे में बहुत लोग सोच विचार करते हैं पर इस बात को महसूस करने वालो की संख्या बहुत कम है। मै ये नहीं कहता कि एक दिन मौत आनी है तो आप सब छोड़ के बैठ जाओ और जीवन जीना ही छोड़ दो कि आखिर एक दिन मरना ही है तो क्या करेंगे किसी चीज के लिए मेहनत करके। मै बस आपको मौत का जो सच है उस बात को महसूस कराना चाहता हूॅ।
हम जब भी रात में सो जाते हैं 4, 5 या 6 घण्टे की गहरी नींद में तो हमे उस नींद के दौरान बीते हुए पलो में कैसा महसूस होता है। हमे याद भी नहीं रहता कि आखिर यह कुछ घण्टे कैसे बीत गये जबकि दिन में जब हम जगे हुये होते हैं तो हमें एक एक सेकेण्ड भी पता होता है कि क्या क्या हुआ। जबकि रात में सोते हुए 6 घण्टे के उतने लम्बे समय का एक पल भी ध्यान नहीं रहता कि क्या क्या हुआ और सुबह हो गयी।
एक बार सोचने की कोशिश करें कि हमें सोते वक्त कुछ पता नही रहता कि मेरे कौन से काम अभी करने को रह गये हैं, क्या-क्या खरीदना बाकी रह गया है, जीवन की किस दौड़ में हैं और कितना आगे पहुचे हैं, घर की स्थिति क्या है, आफिस की स्थिति क्या है, पड़ोस व रिस्तेदारो की स्थिति हमे कुछ पता नही रहता लेकिन सुबह नीेद खुलते ही इन सब बातो से तुरन्त अवगत हो जाते हैं। दिल, दिमाग में सारी बाते वापस अपने आप आ जाती हैं कि जीवन मे कहॉ थे, क्या करना है और कहॉ पहुचना बाकी रह गया है।
आपको ऐसा नही लगता कि सोते हुए जो स्थिति होती है वही मौत के बाद की स्थिति है। बस मौत के मामले में वो 6 घण्टो वाली स्थिति निरन्तर हो जाती है और सुबह नही होती कि सारी बाते फिर से हमारे दिल दिमाग में आ सके। तो फिर तो हम प्रत्येक दिन कुछ घण्टे मुर्दे के समान ही कहे जा सकते हैं।
मतलब यह कहा जा सकता है कि हम लोग हर रोज मौत को महसूस करते हैं। एक बार जब किसी रात सोने जाये तो आप घबरा जायंेगे यह सोचकर कि अगले 6 घण्टे हम कहॉ रहेंगे आखिर ये 6 घण्टे कैसे बीतेंगे। हम जब सोकर उठते हैं तो एक बार सोचते हैं कि ये 6 घण्टे कैसे बीत गया, कब रात के 1 बजे कब 2 बजा या कब 3 बजा। लेकिन वही जब हम जग रहे होते हैं तो 6 घण्टे बीतने पर हमे सब पता होता है कि कब कितने बजें और कब-कब क्या हुआ। और सबसे ज्यादा तो अगर आपको किसी का 6 घण्टे इन्तजार करना पड़ जाये तो आप खुद समझदार हैं कि एक एक पल कैसे बीतेगा जबकि रात के 6 घण्टे मूर्दे की तरह बीत जाता है।
जब हम सोते रहते है तो हम किस चीज की चिंता करते हैं या हमे किस चीज की खुशी रहती है। हमे क्या काम करना बाकी रह गया ये कहॉ याद रह जाता है। हमारे आस पास जो हम रोज देखते हैं, सोचते हैं, विचारते हैं उन सोते हुए पलो में कहॉ याद रह जाता है। ये बहुत अजीब बात है ना कि जिस मौत को जीवन में एक ही बार आना है उसके साथ हम हर रोज कुछ घण्टे रहते हैं बस इसमे एक सुबह हो जाती है।
क्या होगा उन सपनो का, क्या होगा उन कामो का जो हम सजा रखते हैं कि हमे करना है। जिंदगी की रोज की भाग दौड़ और वे काम जिन्हे हम हमेशा करने के लिए परेशान रहते हैं कि कुछ पढ़ना है, आफिस में कुछ अलग करना है, कुछ खरीदना अभी बाकी है, कहीं घूमना अभी बाकी है, कुछ पाना है अभी, कुछ अच्छा करना है परिवार के लिए, ये करना है वो करना है, यह सब कहॉ जायेगा? इन सब की चिंता या इन सब की तैयारी कौन करेगा?
यह सब बाते आपसे बताते हुए मेरा ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप मौत को ऐसा मान ले कि यह कल को तो आनी ही है तो आज जीना ही छोड़ दें। कहने का तात्पर्य बस इतना है कि जब एक दिन सो ही जाना है ऐसी नींद कि सुबह होगी ही नहीं तो फिर परेशान हो के जीना ही क्यू?
हर दिन ऐसा ही जीओ कि आज ही आखरी है और सुबह का पता ही नहीं कि मेरी कल की सुबह होगी भी या नहीं। जब ये पता है ही कि हम सब भी ऐसी नींद सोयेंगे कि जिसकी सुबह नही होगी तो बेफ्रिक हो के जियो।
आपको नही पता है कि अभी उम्र 20 है तो कितनी बची है या 30 है तो कितनी बची है या आप यह नही कह सकते है कि मै इस उम्र तक जीवित रहूॅगा। तो जो भी जीवन आपका बचा है उसमें केवल सपने सजाने का काम ना करे कि मै इस उम्र में ये करुंगा उस उम्र में वो करुंगा बल्कि जो भी जीवन जी रहे हैं वर्तमान से ही अपने जीवन को खुशियों में बितायें और अपने सपनो को जीते हुए जीवन जीयें।
अब आप सोचेंगे कि जीवन में तो इतना कुछ करने की सोच रखे हैं तो वो आज के ही उन बचे हुए कुछ घण्टो में कैसे सब कर लें। मेरा इसमें कहने का तात्पर्य यह है कि जो भी करें खुशी मन खुशी दिल से करें, परेशान हो के या चिंता करके ना करें। खुल के जियो, आज का दिन जो भी कर पा रहे हैं वो ही काम पूरे आत्मविश्वास के साथ करें खुश हो के करें। जीवन जीने का ये तरीका है कि जो भी है अपने पास उसमें खुश रह के जीये हमेशा कुछ भविष्य में पाने की ही इच्छा में आज को जीना ना छोड़ दें। अब इसका मतलब ये भी नहीं है कि जो है अपने पास उसी में जीवन का संतोष कर लें, निरशता ले आयें जीवन में कि क्या करेंगे जीवन में और इच्छायें या लक्ष्य बना के जब एक दिन मर ही जाना है, आप लक्ष्य बनायेे उसे पाने के लिए मेहनत भी करें लेकिन उस लक्ष्य तक पहुचने में हर दिन जो भी मिल रहा है उसे हर दिन इन्जॉय करते चले ऐसा नहीं कि लक्ष्य मिल जाये तभी जीवन है बल्कि जीवन यह भी है जब आप अपने लक्ष्य के लिए प्रयासरत हैं, बाकि जो भी समय होगा पूरी तरह सो जाने का वह हर रोज नजदीक ही आ रहा है, उससे मुंह नहीं मोड़ सकते हैं।
जीवन मेें जो भी हम देखते है उसे भलीभांति समझते और महसूस करते हैं। फिर किसी चीज से इतना गहरा लगाव जिसे मोह कहा जाता है वो भी क्यू रखना जीवन में। जीवन में हम इतना कुछ संचित करते रहते हैं जैसे कि पैसा या अन्य चीजें उनसे मोह लगा बैठते हैं क्या करने के लिए? बल्कि मोह लगा करके कही ना कही हम अपना जीवन व्यर्थ बिता रहे होते हैं।
उपरोक्त सभी बातो का तात्पर्य यह है कि मौत ही एक परम सत्य है जिसे कोई भी झूठला नही सकता है। हमें मनुष्य जीवन एक बार मिला है तो कुछ इस कदर जीयें की कोई कसर ना रह जाये जीवन में। किसी का बूरा ही क्यू करना, किसी के साथ गलत व्यवहार ही क्यू करना, किसी की चोरी ही क्यू करना, किसी को मारना या अपशब्द ही क्यू कहना। अपना जीवन आनन्द में बिताइये और मौज में रहिये। आखिर मौत ही एक ऐसी चीज है जो सबके साथ एक समानता रखती है। तो आप भी मौत की सत्यता को समझिये और जीवन जीेने का अपना तरीका बदलिये।